‘साहब मैं भूत नहीं..’, सरकारी दफ्तर में हर एक से गुहार लगाती दिखी विधवा महिला, चौंका देगी वजह

शहडोल । मध्य प्रदेश के शहडोल जिले के बुढार जनपद पंचायत के एक गांव में एक जीवित विधवा महिला सरकारी दस्तावेजों में मृत घोषित होने के कारण परेशानियों का सामना कर रही है। महिला खुद को जिंदा साबित करने के लिए लगातार सरकारी दफ्तरों के चक्कर लगा रही है, लेकिन उसे न्याय नहीं मिल पा रहा है। सरकारी अधिकारियों की लापरवाही के कारण महिला को न केवल सरकारी योजनाओं का लाभ नहीं मिल रहा, बल्कि उसकी ज़िंदगी भी कठिन हो गई है।

क्या है पूरा मामला?

ग्राम पंचायत खामीडोल की रहने वाली एक विधवा उमा कुशवाहा को ग्राम रोजगार सहायक शिवराम सिंह कंवर ने एक साल पहले परिवार समग्र आईडी क्रमांक 64593444 पर मृत घोषित कर दिया। इस गलती के कारण उमा का नाम सरकारी दस्तावेजों से हटा दिया गया और अब वह सरकारी योजनाओं से वंचित हो गई हैं। खासकर उन्हें "लाड़ली बहना योजना" और सरकारी राशन जैसे बुनियादी अधिकार तक नहीं मिल पा रहे हैं।

रोजगार सहायक की लापरवाही का असर

उमा कुशवाहा ने कई बार सरकारी दफ्तरों में जाकर खुद को जीवित साबित करने की कोशिश की, लेकिन वहां कोई राहत नहीं मिली। अधिकारियों के सामने वह अपनी सच्चाई पेश कर रही हैं, लेकिन उन्हें अब तक सरकारी रिकॉर्ड में जीवित नहीं किया गया है। इसके चलते वह भूख और अभाव का सामना कर रही हैं और सरकारी मदद से भी वंचित हो गई हैं।

थाने में शिकायत, फिर भी कोई सुनवाई नहीं

उमा ने इस मामले की शिकायत जैतपुर थाने में भी की थी, लेकिन वहां भी उसकी कोई सुनवाई नहीं हुई। महिला को सिस्टम के सामने निराशा ही हाथ लगी है। अब वह इस उम्मीद में है कि जिला प्रशासन मामले को गंभीरता से लेकर उसका पक्ष सुनेगा और उसे सरकारी दस्तावेजों में जीवित घोषित किया जाएगा।

महिला को न्याय की आस

यही नहीं, पीड़िता ने मामले की जैतपुर थाने में भी शिकायत की, लेकिन उसकी वहां भी कोई सुनवाई नहीं हुई। पीड़ित महिला सिस्टम के आगे लाचार हो गई है। जिला प्रशासन द्वारा महिला को अब तक उसे सरकारी रिकॉर्ड में जिंदा नहीं किया गया है। अब देखने वाली बात है कि, मामला अधिकारियों के संज्ञान में आने के बाद महिला को न्याय मिलेगा या नहीं।

क्या मिलेगा महिला को न्याय?

महिला अब तक अपने अधिकारों के लिए संघर्ष कर रही है, लेकिन सवाल यह है कि क्या अधिकारियों का ध्यान इस गंभीर लापरवाही की ओर जाएगा और उसे न्याय मिलेगा? यह एक बड़ा सवाल बन गया है कि प्रशासन इस मामले को कितनी जल्दी हल करेगा और उमा को उसके अधिकार मिलेंगे या नहीं।

Spread the love

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *