अमेरिका-चीन की यह ‘लड़ाई’ दुनिया को ले डूबेगी? IMF की अटकी सांस, भारत पर असर
नई दिल्ली: अमेरिका और चीन के बीच ट्रेड वॉर बढ़ गई है। यह थमी नहीं तो इसका दुनिया की अर्थव्यवस्था पर बहुत गंभीर असर होगा। इससे भारी नुकसान पहुंचने की आशंका है। इसने अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (आईएमएफ) की सांस अटका रखी है। आईएमएफ चीफ क्रिस्टालिना जॉर्जीवा ने इस तनाव को तुरंत कम करने की अपील की है। उन्होंने उम्मीद की है कि अमेरिका और चीन ट्रेड टेंशन कम करेंगे और रेयर अर्थ (दुर्लभ पृथ्वी तत्वों) के ग्लोबल फ्लो में रुकावट से बचेंगे। उन्होंने कहा कि ऐसी बाधा का वैश्विक विकास पर ‘महत्वपूर्ण असर’ पड़ेगा। जॉर्जीवा ने आईएमएफ की संचालन समिति की बैठक के बाद यह बात बोली। उन्होंने कहा कि ऐसी स्थिति अनिश्चितता को बढ़ाएगी। पहले से ही कमजोर वैश्विक विकास को और नुकसान पहुंचाएगी।
इस साल आईएमएफ और विश्व बैंक की सालाना बैठकें ऐसे समय में हुईं जब दुनिया की दो सबसे बड़ी अर्थव्यवस्थाओं के बीच चल रहे व्यापार युद्ध में एक नया मोड़ आया। इसने दुनिया भर के हजारों वित्त अधिकारियों और केंद्रीय बैंक के गवर्नरों के बीच चर्चाओं पर अपना दबदबा बनाया। अमेरिका और चीन के बीच अगर ट्रेड टेंशन बढ़ती है तो भारत भी इससे अछूता नहीं रहेगा। उस पर भी कई तरह से असर पड़ेगा।
सिर पर अभी भी मंडरा रहा है खतरा
जॉर्जीवा ने कहा कि आईएमएफ इन विकासों पर बारीकी से नजर रखेगा। लेकिन, उन्होंने यह भी नोट किया कि सदस्य देश आम तौर पर राहत महसूस कर रहे हैं कि वैश्विक अर्थव्यवस्था छह महीने पहले की आशंकाओं से कहीं अधिक लचीली साबित हुई है। उन्होंने कहा कि देश अपनी आस्तीनें ऊपर उठाने के लिए तैयार हैं ताकि बुनियादी ढांचे को मजबूत किया जा सके, नियामक सुधार किए जा सकें और वैश्विक असंतुलन को दूर किया जा सके। हालांकि, वे अभी भी गहराई से चिंतित हैं।
भारत पर कैसे हो सकता है असर?
IMF प्रमुख की चेतावनी भारत के लिए भी चिंता पैदा करती है। अमेरिका और चीन के बीच बढ़ता व्यापार तनाव वैश्विक विकास को धीमा कर सकता है। अगर ग्लोबल ग्रोथ धीमी होती है तो भारतीय निर्यात पर सीधा नकारात्मक असर पड़ेगा। इससे भारत की आर्थिक विकास दर प्रभावित हो सकती है। इसके अलावा, रेयर अर्थ के प्रवाह में किसी भी तरह की रुकावट से भारतीय मैन्युफैक्रिंग और इलेक्ट्रॉनिक्स उद्योग को इन महत्वपूर्ण खनिजों के लिए संघर्ष करना पड़ सकता है। इससे लागत बढ़ेगी। हालांकि, आईएमएम की ओर से बहुपक्षीय सहयोग पर जोर देना भारत जैसे देश के लिए सकारात्मक है। कारण है कि यह व्यापार को स्थिर रखने में मदद कर सकता है।