मोहन सरकार को केंद्र से मिले सिर्फ 8 हजार करोड़:केन-बेतवा लिंक परियोजना, पीएम ई-बस और पीएम आवास शहरी के लिए नहीं आया फंड

मोहन सरकार के राजस्व जुटाने वाले अफसरों के फेल्योर के बीच केंद्र सरकार की ओर से भी राज्य सरकार को पहली छमाही में योजनाओं के लिए पर्याप्त बजट नहीं दिया गया। केंद्र से मिलने वाले इस फंड को दिलाने में केंद्र में एमपी का नेतृत्व करने वाले केंद्रीय ग्रामीण विकास मंत्री शिवराज सिंह चौहान और एमपी के पावरफुल मंत्री प्रहलाद पटेल, कैलाश विजयवर्गीय भी कमजोर साबित हुए हैं।

दरअसल, चालू वित्त वर्ष में राज्य सरकार को केंद्र सरकार से 44355.95 करोड़ दिए जाने का प्रावधान किया गया है, इसके विपरीत केंद्र सरकार ने अब तक 8027.12 करोड़ रुपए ही राज्य सरकार को दिए हैं। यह केंद्र से मिलने वाली अंश राशि का सिर्फ 18.07 प्रतिशत है। इसका असर प्रदेश में केंद्र सरकार के सहयोग से चलने वाली योजनाओं पर भी पड़ना तय है।

पहली छमाही का टारगेट अधूरा बता दें कि मोहन सरकार के राजस्व जुटाने वाले विभाग पहली छमाही के लिए तय टारगेट के मुकाबले पांच हजार करोड़ से अधिक का राजस्व नहीं जुटा पाए हैं। जो सरकार के खजाने में जमा होना था। इससे सरकार का घाटा बढ़ना तय है।

केंद्र की नरेंद्र मोदी सरकार ने इस साल अब तक अलग-अलग विभागों में केंद्र और राज्य सरकार की मदद से संचालित जिन योजनाओं के लिए फंड नहीं दिया है, उसमें एमपी में खोले जा रहे नए मेडिकल कॉलेज, उपस्वास्थ्य केंद्रों की स्थापना, पीएम आवास योजना शहरी, पीएम ई बस योजना, जल जीवन मिशन का काम, ई विधान समेत अन्य योजनाओं के लिए राशि नहीं मिलना शामिल है। केंद्र के हिस्से की राशि नहीं मिलने के कारण राज्य सरकार इन योजनाओं में अपने हिस्से की राशि नहीं मिला रही है।

खनिज, जेल और राजस्व विभाग को नहीं मिले रुपए छह माह बीतने के बाद भी जिन विभागों के लिए केंद्र सरकार से राज्य सरकार को एक भी रुपए नहीं मिले हैं, उनमें खनिज साधन विभाग, जेल विभाग के साथ राजस्व विभाग शामिल है। जेलों के आधुनिकीकरण के लिए 15 करोड़ तो डिजिटल क्रॉप सर्वेक्षण के लिए 50 करोड़ मिलना है। सहकारिता विभाग को 8.07 करोड़ मिलने थे, लेकिन एक भी रुपए नहीं मिले हैं। श्रम विभाग को 1.24 करोड़ मिलना है पर नहीं मिले हैं।

भ्रष्टाचार के चलते जल जीवन मिशन का पैसा रुका केंद्र सरकार ने प्रदेश में जल जीवन मिशन में किए गए भ्रष्टाचार और पीएचई मंत्री पर लगे कमीशनखोरी के आरोपों के बीच इस वित्त वर्ष में अब तक पीएचई विभाग को एक रुपए भी नहीं दिए हैं। जबकि केंद्र द्वारा पीएचई विभाग को जल जीवन मिशन के लिए 8561.22 करोड़ रुपए देने का प्रावधान है।

फाइनेंस को 420.27 करोड़ मिले वित्त विभाग को पहली छह माही में केंद्र सरकार ने 14 वें वित्त आयोग के अंतर्गत नगरीय निकायों के लिए 38.40 करोड़ तथा अतिरिक्त अनुदान के रूप में 381.87 करोड़ समेत कुल 420 करोड़ 27 लाख रुपए दिए हैं।

पीएम आवास ग्रामीण और मनरेगा के लिए मिला इतना फंड ग्रामीण विकास विभाग को 9774.23 करोड़ देने का प्रावधान अलग-अलग स्कीम में किया गया है लेकिन इसके विपरीत 2782.60 करोड़ ही दिए गए हैं। इसमें पीएम आवास योजना के लिए 2640 करोड़ के बदले 1987.16 करोड़ और मनरेगा के लिए 3160 करोड़ के बदले 533.21 करोड़ तथा प्रधानमंत्री पोषण शक्ति निर्माण के लिए 576.01 करोड़ के बदले 174.28 करोड़ की राशि शामिल है।

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