डॉक्टर ने दी चेतावनी, ‘कार्बाइड’ बना मौत का पटाखा; पुतली डैमेज और अंधेपन का खतरा

भोपाल। दीपावली का त्योहार रोशनी, खुशियों और उत्साह का प्रतीक है, लेकिन इस समय कुछ खतरनाक फटाखे बच्चों और वयस्कों दोनों के लिए गंभीर खतरा बन सकते हैं। बीएमएचआरसी भोपाल के नेत्र विज्ञान विभाग की विभागाध्यक्ष डॉ. हेमलता यादव ने चेताया है कि कार्बाइड पटाखे विशेष रूप से आंखों के लिए बेहद खतरनाक हैं।

इन पटाकों में पानी डालने या नीचे की ओर लाइटर जलाने पर गैस का दबाव अचानक रिलीज होता है, जिससे पटाखा अचानक फट सकता है। अक्सर लोग आगे की ओर देखकर उसे संभालने की कोशिश करते हैं, उसी समय फटने से आंखों पर सीधे चोट लगती है। इसके परिणाम स्वरूप आंख की काली पुतली व कार्निया को स्थायी नुकसान पहुंच सकता है। गंभीर मामलों में आप्टिक न्यूरोपैथी, पर्दे में सूजन और स्थायी दृष्टिहानि भी हो सकती है। क्यों इतना खतरनाक है।

‘कार्बाइड वाला’ पटाखा

डॉ. हेमलता यादव ने एक विशेष प्रकार के पटाखे के उपयोग पर गंभीर चेतावनी जारी की है। उन्होंने बताया कि इन पटाखों के अंदर ‘कार्बाइड’ नामक खतरनाक रसायन मौजूद होता है। जब इन पटाखों पर पानी डाला जाता है, तो इनमें गैस बनने लगती है, और नीचे से लाइटर जलाने पर यह गैस तेज दबाव (प्रेशर) से बाहर निकलती है। कई बार ये पटाखे तुरंत फटते नहीं हैं।

ऐसे में जब लोग यह देखने के लिए आगे झुकते हैं कि पटाखा क्यों नहीं फटा, उसी समय यह तेज दबाव के साथ फट जाता है, जिससे सीधे आंखों में गंभीर चोट लग रही है। आजकल इस तरह में मामले अस्पताल में ज्यादा आ रहे हैं। लोगों को खुशी इस पर्व पर सतर्कता के साथ पटाखे चलाने चाहिए। साथ ही एक निश्चित दूरी बनाकर रखनी चाहिए। खासकर जब बच्चे पटाखे चला रहे हों तक बड़ों को उनके साथ होना चाहिए।

पुतली को डैमेज कर रहा ‘साइलेंट अटैक’

डॉ. यादव ने बताया कि इस ‘साइलेंट अटैक’ के कारण मरीजों की आंखों की काली पुतली (कार्निया) सीधे तौर पर डैमेज हो रही है। इस तरह की चोट से पुतली की स्टेम कोशिकाएं खत्म हो जाती हैं, जिसके कारण बाद में पूरी कार्निया खराब हो सकती है।

अगर पुतली खराब हो गई, तो आगे चलकर आंख की रोशनी पूरी तरह जा सकती है। यह चोट इतनी गंभीर है कि यह किसी भी घरेलू उपचार या सामान्य चिकित्सा से ठीक नहीं हो सकती और इसके दूरगामी परिणाम सामने आते हैं।

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